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Thursday, 31 August 2023

Saturday, 26 August 2023

इतने बड़े टॉयलेट में रहता था शख्स, बाथरुम में ही हुआ था पैदा, Good Luck के लिए बनवाया अजीबोगरीब घर

 


इतने बड़े टॉयलेट में रहता था शख्स, बाथरुम में ही हुआ था पैदा, Good Luck के लिए बनवाया अजीबोगरीब घर

सोशल मीडिया पर एक शख्स अजीबोगरीब कारण से चर्चा में है. इस शख्स का जन्म टॉयलेट में हुआ था. ऐसे में अब उसने अपने लिए जो घर बनवाया वो भी टॉयलेट सीट के शेप का है.

टॉयलेट सीट जैसे घर में रहता था मेयर (इमेज- ट्रिप एडवाइजर)

टॉयलेट सीट जैसे घर में रहता था मेयर (इमेज- ट्रिप एडवाइजर)

दुनिया में आपने कई तरह के इंजीनियरिंग के कमाल देखे होंगे. ऐसी कई इमारतें देखी होगी, जो आंखों को हैरान कर देती है. कोई अपने अजीबोगरीब डिजाइन के कारण तो कोई फीचर्स के कारण. लेकिन एक शख्स ने ऐसा घर बनाया, जिसे देखने के बाद कई लोग सदमे में हैं. इस घर का डिजाइन टॉयलेट सीट की तरह है. अपने घर का ऐसा डिजाइन बनवाने की शख्स ने जो वजह बताई, वो भी हैरान करने वाली है. उसकी मां चाहती थी कि बेटा ऐसा घर बनाए जो टॉयलेट सीट जैसा हो. अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए शख्स ने ऐसा ही घर बना डाला.


साउथ कोरिया के सुवों में रहने वाले सिम जाए डक ने 2007 में एक ऐसा घर बनवाया, जिसकी काफी चर्चा होने लगी. ये घर टॉयलेट सीट जैसा दिखता था. दरअसल, सिम का जन्म टॉयलेट में ही हुआ था. अपनी जिंदगी में आने वाली मुसीबतों को खत्म करने के लिए उसने अपना घर ही इस शेप का बनवा लिया. बता दें कि एक समय पर सिम सुवों के मेयर भी थे. इनके घर ने काफी सुर्खियां बटोरी थी. हर किसी ने टॉयलेट जैसे दिखने वाले इस घर को देख हैरानी

टॉयलेट जैसे घर में रहने की वजह से कई लोग सिम को मिस्टर टॉयलेट के नाम से जानते थे. सिम की मां को लगता था कि ऐसे घर में रहने से उसके बच्चे की जिंदगी में खुशियां आएगी. उसे कामयाबी मिलेगी. सिम ने एक बड़ा सा घर बनवाया, जिसमें सारी सुविधाएं थी. लेकिन इस घर की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि इसकी शक्ल टॉयलेट सीट जैसी थी. उसने अपने घर का नाम Haewoojae रखा था, जिसका मतलब होता है एक ऐसी जगह जहां जिंदगी के सारे प्रॉब्लम्स सॉल्व हो जाते हैं.

toilet house
देखने आते हैं लोग


ऐसा था घर
सिम का ये अजीबोगरीब घर दो मंजिला था. इससे पहले वो जिस घर में रह रहा था, उसे 30 साल बाद उसने खाली कर दिया. अपने नए घर में सिम ने दो बेडरुम बनवाए थे. साथ ही इसमें कई लिविंग रुम थे. सबसे ज्यादा खर्च इसके टॉयलेट में किया गया था. घर में तीन टॉयलेट थे जिसके सीट अपने आप खुलते थे. साथ ही एक रूफटॉप भी बनवाया गया था, जो इसके डिजाइन को क्लियर दिखाता था. इस रूफटॉप की सीढ़ियां टॉयलेट की पेंद जैसी दिखती थी.

Rover moving on Moon, has already covered 8 metres, all payloads are performing: ISRO



The Chandrayaan-3 lander reached the lunar surface on Wednesday, making India the fourth country  achieve soft-landing on the Moon. India also became the first country to land near the South pole of the Moon.

Chandrayaan-3 roverRollout of rover of ISRO's Chandrayaan-3 from the lander to the lunar surface, as observed by Lander Imager Camera, on Wednesday, Aug. 23, 2023. (PTI Photo)

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Two days after Chandrayaan-3 landed on the Moon, the Indian Space Research Organisation (ISRO) released Friday the first video of the rover moving on the lunar surface.

In an update later, the space agency confirmed that the rover had covered a distance of 8 metres on the lunar surface and the two science experiments it was carrying had also been switched on.

A two-segment foldable ramp on the lander module helped the rover roll down with a cord attached to it. The cord was retracted after the rover touched the surface of the Moon

Lander A screenshot shows the surface of the Moon captured by Lander Imager Camera aboard ISRO’s Chandrayaan-3 before its successful touchdown, in Bengaluru, Wednesday, Aug. 23, 2023. (PTI Photo)

As it was rolling out, a solar panel also opened up, allowing the rover to generate 50W power for its journey.

All planned rover movements have been verified. The rover has successfully traversed a distance of about eight metres,” ISRO said, adding that rover payloads LIBS (LASER Induced Breakdown Spectroscope) and APXS (Alpha Particle X-Ray Spectrometer) had been switched onRover The rover is capable of travelling a total distance of 500 metres. (PTI Photo)

“All payloads on the propulsion module, lander module and rover are performing nominally,” it said.

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Data collected by the rover is sent to the lander, which then communicates with the orbiter of the previous Chandrayaan mission.

The Chandrayaan-2 orbiter then transmits the data to Earth. With this, all experiments have now been turned on to collect data during the lunar day.

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The instruments will carry out experiments and observations over the next two weeks. They are expected to become inactive once the lunar night descends because of lack of sunlight.

Thursday, 24 August 2023

पहले यात्रा करने में लगते थे 4-5 भारत का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन कौन-सा है, जानें

 


भारत का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन कौन-सा है, जानें

भारतीय रेलवे देश की जीवन रेखा कही जाती है। हमारे देश का नेटवर्क विश्व का चौथा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जिसके तहत प्रतिदिन करोड़ों यात्री 13 हजार से अधिक पैसेंजर पैसेंजर ट्रेनों के माध्यम से सफर करते हैं। यह ट्रेनें 7 हजार से अधिक रेलवे स्टेशनों से गुजरती हैं। इस कड़ी में हम आपको भारत के सबसे ऊंचे रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर सबसे ऊंचाई पर ट्रेन चलती है और इस वजह से इस जगह पर सफर करने का रोमांच ही अलग होता है।
Kishan Kumar
सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन
सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन

भारतीय रेल दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल नेटवर्क है। इसके साथ ही एशिया में इसका स्थान दूसरे पायदान पर है। रेलवे के माध्यम से प्रतिदिन करोड़ों यात्री सफर कर अपनी मंजिलों तक पहुंचते हैं।

यही वजह है कि भारतीय रेलवे को देश की जीवन रेखा भी कहा जाता है। आपने भारत के अलग-अलग रेलवे स्टेशनों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आपको पता है कि भारत का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन कहां स्थित है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। साथ ही रेलवे स्टेशन से जुड़े अन्य तथ्यों पर भी गौर करेंगे। 


कौन-सा है सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन

भारत के सबसे ऊंचे रेलवे स्टेशन की बात करें, तो यह घुम रेलवे स्टेशन है, जो कि पश्चिम बंगाल राज्य के दार्जिलिंग में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे का हिस्सा है। भारत में यह रेलवे स्टेशन 2,258 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 

 

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पहले यात्रा करने में लगते थे 4-5 दिन

हिमालयन रेलवे से पहले कोलकाता से दार्जिलिंग की यात्रा के लिए 4 से 5 दिन का समय लग जाता था। क्योंकि, यहां पहुंचने के लिए यात्रियों को पहले भाप इंजन से अपनी यात्रा करनी होती थी।इसके बाद वह नाव के माध्यम से गंगा को पार करते हुए साहिबगंज तक पहुंचते थे। यहां पहुंचने के बाद वे आगे का सफर बैलगाड़ी व अन्य साधनों से पूरा करते थे। इस वजह से यात्रियों को दार्जिलिंग पहुंचने में चार से 5 दिन का समय लेकर चलना पड़ता था। 


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1879 में शुरू हुआ निर्माण कार्य 

हिमालय रेलवे का साल 1879 में निर्माण कार्य शुरू हुआ। इस दौरान 1881 में घामौर तक रेलवे लाइन पहुंची। रेल सेवा शुरू होने पर यहां पर छोटे इंजन का प्रयोग किया जाने लगा और इसके साथ ही यात्रियों के हल्के और छोटे कोच इंजन में जोड़े गए। 


यात्रा के दौरान आता है रेलवे का प्रसिद्ध मोड़

इस यात्रा पर जब भी आप जाएंगे, तो रास्ते में रेलवे का एक प्रसिद्ध मोड़ पड़ता है, जिसे बतासिया मोड़ के नाम से जाना जाता है। इस मोड़ पर रेल एक पहाड़ी से होते हुए एक गोल घेर बनाती है। 


ऐसे में भारत में सबसे ऊंचे रेल सफर के दौरान मनमोहक वादियों के बीच यहां का खूबसूरत नजारा आंखों को सुकून पहुंचाता है। यही वजह है कई लोग भारत के इस सबसे ऊंचे रेलवे स्टेशन तक की यात्रा करते हैं और एक नए अनुभव का अहसास करते हैं। 

 

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